शिकायत लबों पर अक्सर, उनके रहती है,
के हमें प्यार करना नहीं आता,
दिल भी दे दिया, जान भी दे दी,
फिर भी कहते है , के हमें प्यार करना नहीं आता,
उम्र आधी गुजार दी, उनके इन्तजार में,
सुकून ना आया फिर भी, उनको इकरार में,
ताऊम्र गुजार दी, दिल-ए-इजहार में,
और वो कहते है , के हमें प्यार करना नहीं आता,
बेल डाली रोटियाँ, पका डाले चावल,
धुल गये सारे कपडे, हो गया मैं पागल,
और वो कहते है, प्यार करना तो दूर,
शीतलेश तुम्हे तो ठीक से काम करना भी नहीं आता …
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शीतलेश थुल
हा हा हा…..कमाल कर दिया आपने क्या प्यार के साथ हंसी की पुट मिलाई….बहुत ही बढ़िया……
बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमान।
Bahut Khubsurat ……………………..
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ साहब।
क्या बात है बहुत खूब………….. बस लगे रहे ।
बहुत बेहतरीन शितलेश जी…………… मजा आ गया पढ़ कर। बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद कुशक्षत्रप साहब।
हा हा हा………………… बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी