यह प्रीत का जादू ऐसा है मन हँसता है कभी रोता है…
बिन कहे मन नहीं रुकता है कहते ही चुप्प हो जाता है…
फिर मोहन भी तो मोहन है हर किसी का मन हर लेता है…..
कोई रोता ना मिलने से तो कोई रोता जब वो मिलता है….
मोहन को पाने को उद्धव सा ज्ञान धरा रह जायेगा….
प्रीत जगा ले राधा जैसी तो मोहन भागा आएगा….
यूं सृष्टि में रमा रचयेता मोहन राधा में रहता है….
बन के देख तू राधा मनवा मोहन ही तू हो जायेगा….
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/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)…….
माधुर्य भक्ति भाव सी सजी सुन्दर रचना .
बहुत बहुत आभार आपका…….
Beautiful. Last line is particularly marvellous
मधुकरजी….आपकी सराहनीय प्रतिकिर्या का बहुत बहुत आभार…….
मनवा मोहन ही हो जायेगा
…………………
बेहतरीन बब्बू जी
आपकी सराहनीय प्रतिकिर्या का बहुत बहुत आभार…….
बहुत ही खूबसूरत…………………..
शुक्रिया….आभार…दिल से….
क्या बात है……………. शर्मा जी…………….
आजकल बहुत अच्छी अच्छी रचनाऐ दे रहे आप ।
हा हा हा…आपको नहीं पता…आपकी डायरी से चुरा के लिखा सब…. बहुत बहुत आभार…….
ईश्वर से रूबरू होने का क्या सटीक नुक्ता दिया है आपने ….जिसे जानते सब है पर अपनाता कोई नही ……………..अति सुन्दर बब्बू जी !!
बहुत सही कहा आपने…….तहदिल आभार आपका निवतियां जी…….