तोता दिन भर जपता नाम
रघुपति राघव राजा राम
आगन्तुक को करे प्रणाम
संग पपीता खाता आम।।
बंदर मामा करते शोर
दौड़ लगाते चारो ओर
बागों को देते झकझोर
देख भागते जैसे चोर।।
बिल्ली मौसी हैं बदनाम
करे दूध का काम तमाम
घात लगा कर सुबहो शाम
चूहें पहुँचाती सुर धाम।।
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सुरेन्द्र नाथ सिंह ‘कुशक्षत्रप”
(छंद विधान: चौपई छंद में 15-15 मात्राओ के सम मात्रिक चार चरण के साथ साथ अंत में गुरु-लघु आवश्यक। यह चौपाई छंद से अलग छंद विधा है)
राम राम
बहुत सुन्दर रचना
A lot of thanks Kapil ji
Very nice Surendra jee
Thanks Dr vivek ji…………….
मजा आ गया सर….बहुत ही बढ़िया बाल कविता…..लाजवाब……
Thanks babboo ji…………………………..
बहुत ही सुंदर बाल कविता सुरेंद्र जी ।
Thanks you mam for comment
अत्यन्त सुन्दर बाल गीत सुरेन्द्र जी .
धन्यवाद मीना जी…………………………
Beautifully written Surebdra ………….
धन्यवाद शिशिर सर…………….
क्या बात है कुशक्षत्रप साहब। कितनी सुन्दर रचना की है आपने। बहुत बढ़िया।
शितलेश जी कोटि से धन्यवाद……………
बालमन को बहाने वाली बहुत खूबसूरत बाल कविता ………….अति सुन्दर सुरेंद्र !!
आदरणीय निवातियाँ जी दिल से आभार
बेहतरीन, बाल सुलभ कविता………….
आप्जी बाल कविताओ की कोई सानी नहीं सर जी