♥ हायकू ♥
बड़ा हो गया
हुआ निर्मोही तेरा
मैं अपराधी
माँ को हमेशा
पसीजता ही देखा
है धेर्यवीर
आंसू ना गिरे
आंचल भर लेती
माँ ऐसी होती
थाम ना सके
जिस उगली थाम
चलना सीखें
माँ घटों रोती
पलभर बच्चो से
अकेले होती
ना मारो बेटी
तरस जाएगा माँ
सारा संसार
मैं कच्चा घड़ा
माँ ने हाथ फेर के
जिवित किया
माँ मैं बीज था
सींच दिया तुमने
प्यार दुलार
माँ शब्द नही
भरा पूरा संसार
एक ग्रथं है
माँ की मूहर्त
मन वचन काय
क्षमा सूरत
माँ का आंचल
आज भी लहराता
सुखद यादें
राहें ताकंती
करती इन्तजार
माँ की नजरें
मां का आशीष
महसुस करुं मे
है यही चाह
माता की कोख
नो मास तक सीचेें
जीवन डौर
मां एक दिव्य
आलोकिक प्रकाश
जीवनभर
माँ रोम रोम
होती है न्योछावर
संतान पर
माँ प्रदाता है
है जीवन दायिनि
नही अबला
माँ की ममता
आईने के समान
पारदर्शिता
दुख प्रसव
वेदना सहती माँ
असहनीय
सुख मातृत्व
पाकर वे हसंती
इठलाती भी
है इर्द गिर्द
ओजोन आक्सीजन
माँ की दुआएँ
माँ ही प्रकृति
प्रकृति ही प्रदाता
मां ही प्रदाता
मातृ जीवन
जीवन का पथ है
जीवन दिशा
(तांका)
माँ की ममता
नेह का सकंलन
अपार स्नेह
भावना का सृजन
प्रेम का मुलधन
कपिल जैन
बहुत ही सुन्दर…………
शुक्रिया आदरणीय
कपिल जैन जी हाइकू तो मै 5-7-5 वर्णों का जनता था। आपकी रचना में
माँ की ममता
नेह का सकंलन
अपार स्नेह
भावना का सृजन
प्रेम का मुलधन
यहाँ इसका निर्वहन नहीं हुवा
हाइकू में किसी शब्द विशेष का बार बार आना भी गम्भीरता को कम करता है। चुकि माँ पर है तो माँ का बार बार आना चलेगा पर प्रदाता शब्द की इतनी पुनरावृत्ति पर आप दुबारा विचार करें।
सानुरोध
माँ की ममता
नेह का सकंलन
अपार स्नेह
भावना का सृजन
प्रेम का मुलधन
Sir यह हाईकू नही ताकां लिखा है
5-7-5-7-7
पद्धति से
सुधार के लिए प्रयासरत रहूँगा
बहुत ही खूबसूरत एवम ममत्व से सराबोर रचना।
Very nice……………………………….
बहुत बहुत धन्यवाद
भावाभिव्यक्ति बहुत अच्छी है …हाइकु की अपनी सीमाएं है उनमे बधकर लिखोगे तो रचना बेहतर होगी !!
जी अवश्य सर
सुधार के लिए प्रयासरत रहूँगा