दिल में हज़ार ख्वाइशें आज भी हैं
आँखों में जागते ख्वाब आज भी हैं
तुम तो हमारे थे न कभी,
हम तो तुम्हारे आज भी हैं
दिल में हज़ार ख्वाइशें आज भी हैं
हर सुबह,
इन ख़्वाबों को जीने की चाह आज भी है
उन हर ख्वाइशों को,
सच करने की कोशिश आज भी है
तुम तो हमे सह न सके कभी,
तुमको सहने की हिम्मत आज भी है
दिल में हज़ार ख्वाइशें आज भी हैं
तेरी ख़ुशी में,
अपने ख़ुशी के रंग ढूंढने की आदत आज भी है
हर पल तुझे पाने की इबादत आज भी है
तुम तो बेवफा ही सही,
तुमसे वफ़ा निभाने की आदत आज भी है
दिल में हज़ार ख्वाइशें आज भी हैं
तुम्हे पाकर,
खो देने का डर आज भी है
मेरी आँखों में तेरी आँखों का असर आज भी है
तुम तो यूँही रूठ गए,
तुम्हे मनाने का हुनर आज भी है
दिल में हज़ार ख्वाइशें आज भी हैं
मेरे इन कानो को,
तेरी पुकार का इन्तेजार आज भी हैं
तेरे सवालों में अपने जवाब ढूंढने का करार आज भी है
तुम तो प्यार करना सके कभी,
हमे तो तुमसे प्यार आज भी है
दिल में हज़ार ख्वाइशें आज भी हैं
राहुल
@kumarrahulblog.wordpress.com
क्या बात है, खुबसूरत रचना बन पड़ी है राहुल जी
धन्यवाद सुरेन्द्र जी…..!
प्रयास सफल हुआ 🙂
Khoobsoorat……