तुमको मेरी इस घुटन का अहसास नहीं है…
होगा भी कैसे…तुम्हारे साथ ऐसा हुआ नहीं ना….
हर कोई मुझसे सवाल करता है तुम्हारे बारे…
जो सवाल कम विष भीगे तंज ज्यादा होते….
जो नहीं करते उनकी निगाहें मेरा पीछा करती हैं…
चुभती हैं मेरे तन बदन में…
मन को मार कर सब सह रही हूँ…
कभी मन करता है सब छोड़ के भाग जाऊं…
क्यूँ सहती हूँ मैं….
पर नहीं जा पाती…
इस लिए नहीं कि पाँव नहीं चलते…
इस लिए भी नहीं कि अब…
मेरा जिस्म निर्जीव सा हो गया है…
इस लिए भी नहीं कि कोई तरस खायेगा….
मुझे अपनाएगा…
नहीं….
शायद इस लिए कि…
तुमने भी तो मेरे साथ हर पल गुज़ारा है….
एक विश्वास सा है तुम ऐसा नहीं कर सकते…
तुम्हारी सांसें भी तो उखड़ती होंगी…
तुम भी तो ऐसे ही बदहवास होंगे…
जानती हूँ तुम कचरा निकाले बिना नहीं रह सकते…
ऐसा लगता है उस दिन भी तुम…
कुछ कहना चाहते थे…
कुछ तो था जो नहीं कहा….
बस उसी इंतज़ार में…
कभी तुम आओ और
अपने मन से कचरा निकालो…
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
बेहतरीन बब्बू जी ……………,, ,
बहुत बहुत आभार आपका दिल से……..
बहुत सही किया है आपने कचरा पेटी को खोलकर. इसे यूँही चलते रहिये………………….बहुत सुंदर………………..
तहदिल आभार………..
बेहतरीन….., भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए सुन्दर शब्द संयोजन…….,
बहुत बहुत आभार ……..
बहुत खूबसूरत बब्बू जी …अच्छी लय पकड़ी है आपने ………बस चलते जाइये !!
आप फूंक मारते रहो बस हा हा …..बहुत बहुत आभार……
वाहहहहह।अनुपम सृजन आदरणीय
बहुत बहुत शुक्रिया ……आभार……
कचरा पेटी की 3 कड़ी मुकम्मल होने पर आपको आकाश भर बधाई।
परमपिता आपको और भी कडियो को जोड़ने की अथाह शक्ति दे
आपकी बधाई और दुआ का शुक्रिया……आभार दिल से….
Sir!! Bahut hi behtareen aur kaabile taareef rachna..????????
बहुत बहूत आभार हौसला अफजाई का……
शर्मा जी……… कमाल कर दिया……… कचरा पेटी….. जिसे कोई ध्यान से देखता भी नहीं…… उसके भावो को लेकर रचना रच डाली और वो भी तीन तीन पार्ट ……… क्या बात है ।
आप मेरी कवी महोदय पढ़ो….पता चल जाएगा कैसे लिखा…..हा हा हा…..आभार दिल से