हे मानुष कर ले मनमानी एक दिन खुद पछतायेगा रे जैसे करम करेगा प्राणी फल वैसा ही यंहा पायेगा !!
आज नहीं तो कल ही सही हे मानवसब कुछ नजरो के सामने आयेगा !जब चल रहा होगा कर्मो का चलचित्रफिर खुद से नजरो को कैसे चुरायेगा !!
खूब चढ़ा लो रुपया पैसा और हार धन दौलत से ना खुश कर पायेगा ईश्वर के बही-खाते है बड़े निराले वहां आत्मचिंतन ही काम आयेगा !!
दुनिया के इस क्षीर सागर में मात्र सत कर्म की नाव चले है !एक तेरी करनी के कर्मफल से इसमें झूठ सच की लहर हिले है !!
किस कारण से दुनिया में आये जिस दिन यह भान हो जायेगा ! पर लगेगी तेरे जीवन की नैया यहां पे आना सफल हो जायेगा !!
हे मानुष कर ले मनमानी एक दिन खुद पछतायेगा रे जैसे करम करेगा प्राणी फल वैसा ही यंहा पायेगा !!
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बिलकुल सही लिखा है आपने………….अति सुंदर…………………..काश इस बात को सभी समझ पाते.
सनातन और शाष्त्र सम्मत बात यही है, कर्मो का फल यही मिलता है, कोई बुरा करता है यह सोच कर की कोई जान न पायेगा पर अन्तोगत्वा खुद को तो वह बहला नही सकता, उसके कर्म उसको तो पछताने पर मजबूर करेगा ही।
आपकी सोच और रचना को नमन
dunian ki jhamele aur apne kukarmon ka phal sab yahin hai yar.
sir jee aapne bahut achchha chitran apni kalam se ukeri hai.
sach se ru ba ru karwati rachna apki…….bahut badiya sir
सही कहा आपने कर्म जैसे करते हैं हम वैसा ही फल पाते हैं….ज़िन्दगी का फलसफा बताती पथ प्रदर्शक का काम करती बहुत खूबसूरत…….
Beautiful motivational work for the positive behavior in life.
Very true……ek-ek word apne aap me descriptive hai………
Very true……ek-ek word apne aap me description hai sachhai hai ka………
अत्यन्त सुन्दर……, हर पंक्ति में सीख….,आत्मावलोकन. करने को प्रेरित करती रचना …..।
Sir… aapke likhne ka andaaj nirala hai aur humko mantr mugdh karne vala hai….very nice..Sir!!!