जिन्दगी अपने हँसी रंग तू दिखाती चल
नए नए चेहरों को मुझसे तू मिलाती चल
समय के साथ में मौसम तो यहाँ बदलेंगे
हर मौसम में मुझे जीना तू सिखाती चल
लाख चाहो मगर बुरे दौर भी तो आते हैं
हर खलिश को दिलो से तू मिटाती चल
उल्फ़त का नशा कभी लहू में कम ना हो
नए जामो के घूंट मुझको तू पिलाती चल
मधुकर को तुझसे अब कोई शिकवा नहीँ
बिछडो को तू बस यूही करीब लाती चल
शिशिर मधुकर
मधुकरजी…..कमाल कर दिया अल्फ़ाज़ों से आपने…बेहरीन ग़ज़ल….वाह….मजा आ गया…. हाँ सिर्फ मुझे मतला की दूसरी पंक्ति में “भी” थोड़ा अटका…ऐसा लगता आपने पंक्ति मिलाने के लिए जोड़ा उसको…. बेहतरीन….बेमिसाल…..
Thank you very much Babbu ji. I have made minor corrections accordingly.
बेहतरीन अल्फाजो से सुसज्जित खुबसूरत गजल
दिल से बस वाह वाह निकलता है
So nice of you Surendra for lovely words ………………
क्या बात ! क्या बात ! क्या बात ! बहुत खूब मधुकर जी।
Thanks a lot Sheetalesh ……………………
वाह शिशिर जी ………बहुत दिनों के बाद आपको पढ़ा हूँ ….
दिल खुश हो गया …….
मुबारक हो आपने तो गज़ल लिखनी भी चालू कर दी …..
उम्दा गज़ल …..!!
आशा करूँगा आप बहर पर लिखें….. …..और भी मज़ा आयेगा !!
Thank you so very much Anuj for your lovely comment. I have already publsihed a good number of gazals now on this web site. You may like to go through them and comment.
बहुत उम्दा …………..अति सुन्दर शिशिर जी !
Hearty thanks Nivatiya Ji……
जिन्दगी के प्रति सकारात्मक रुझान दर्शाती अनमोल रचना….,बहुत सुन्दर शिशिर जी !!
Thank you so very much Meena ji from deep of my heart for your lovely comment.
Beautiful..,………………..
Thank you Vijay…………