दुसरे के हक पर अपना अधिकार कैसा
जंग लगी तलवार पर चमकती धार कैसा।
जहॉ एक मोल पर बिकती है सब कुछ
वह दरिंदों का बाजार कैसा।
जो नफरत से जीते हैं उन्हें हम अब
सिखलायेंगे अपना प्यार कैसा।
सब सीख रहे हैं आज लहू से हाथ रंगने
आतंकवाद बन गये क्यों वे मौत मरने।
मैं बर्बादी नहीं खैर चाहता हिन्दुस्तान का
लेकिन जो पॉव में कुल्हाड़ी मार दे
वह बनेगा आज अपना यार कैसा।
वो मंदिर-मस्जिद बॉटने वाले
तूॅने मजहब को आज क्यों बांटा है
लाख मुसिबत सहने वाले ऐसे
अनेक इंसानों को क्यों काटा है
मैं उसे नहीं बख्सूगॉ जो मॉ धरती को सताते हैं
सफेद पोश पहनकर मंदिर-मस्जिद में आते हैं
अरे इंसान तुम अपना कर्तव्य देख
अपने मन से उपजा तुम्हारा यह अधिकार कैसा
आज धरती खून से रंग गई
आकाश धूॅआ-धूॅआ हो गया
जिधर देखना है उधर देख
सब बर्बादी पर तुले हैं आज
अपना जम-घट कैसा हो यह नहीं पहचानते
फिर राजनीति पर तुम्हारा यह अहंकार कैसा।
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
Mobile No. 9661065930
behtarian………………….
Mani jee dil se bahut bahut hardik aabhar.
अति सूंदर…………………
THANK YOU VIJAY SIR JEE.
Very Nice Sharma Ji…………….
bahut bahut sukriya sir jee.
बहुत ही सुंदर रचना बिन्दु जी…………… ।
Very very thank you kajal jee, aapka bahut bahut sukriya.
बहुत खूबसूरत भावों से रचित………..
BAHUT BAHUT SUKRIYA SIR JEE.
भाव सम्प्रेष्ण में आप पूर्णतया सफल रहे है……..
Aap ki pratikriya hamesha hi hamen bahut achchha laga hai dhanyabad.