जिंदगी एक मोड़ पर मिलकर विछड़ गई
बात लम्हों के सही अब यूॅ ही सिमट गई।
खुद को किस ओर से पार उतारेंगे साहिल
मेरी कस्ती भंवर में क्यों यूॅ ही उलझ गई।
मंजिलें दिखती नहीं अब इन किनारो पर
क्या सैलाब आया था जो उसे निगल गई।
दिल की हर बात समझना बुरा नहीं होता
चुराके दिल किसी का यूॅ ही निकल गई।
मुमकिन लगता नहीं मिलना मुहब्बत का
ऐ खुदा मुझे बता मेरी मेहबूबा किधर गई।
जिंदगी एक मोड़ पर मिलकर विछड़ गई
बात लम्हों के सही अब यूॅ ही सिमट गई।
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
Mobile No. 9661065930
अति सूंदर…………………
bahut bahut dil se aabhar.
बहुत ही सुंदर………..
…………………….. ।
Thank you kajal jee
मनोभावो को शब्दो में बांधने का अच्छा कार्य ……………!!
BAHUT BAHUT SUKRIYA SIR JEE.
बहुत खूबसूरत…….
Thank you sir for your comments.
बेहतरीन गजल बिन्देश्वर जी………………
THANK YOU SURENDRA SAHAB FOR YOUR COMMENTS.