अगर आशिकी में दिल दे दिये तो
समझो की हम भी वफा कर रहे हैं।
गले से लगाना क्यों नफरत को मैनें
न समझा न जाना मुहब्बत को हमनें
नजरों से मेरे गर नजर मिल गये तो
समझो की हम भी वफा कर रहे हैं।
उड गई नींदे और चैन छिन गया है
पतझड के जैसे चमन उजड गया है
फूलों पर जैसे अब भंवरे आ गये तो
समझो की हम भी वफा कर रहे हैं।
अपना बनाके हमको सपना दिखया
बेवफा ने हमको हंसा के रूलाया
भींजे पलको में ऑसू भर गये तो
समझो की हम भी वफा कर रहे हैं।
जुदाई का आलम सहा नहीं जाता
तन्हा ये मन अब रहा नहीं जाता
इश्क में गर कोई खता हो गये तो
समझो की हम भी वफा कर रहे हैं।
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
Mobile No. 9661065930
बहुत खूब…………………………..
Thank you bahut bahut sukriya.
खुबसूरत रचना…………………….
Pratikriya ke liye hardik aabhaar.
Beautiful Bindu…………………!
D K Sahab hardik aabhar.
कभी न कभी पत्थर दिल भी धड़का होंगा
आखिर इन्सान तो इन्सान ही है।
आपकी आशिकी सर आँखों पर
Singh sahab hardik dil se bahut bahut aabhar.