कभी कभी घुटन कितनी भयावह हो जाती है….
सांस चलती रहती है सहज सी पर…
लगता जैसे बोझ सा उठाये चल रही है…
ना खुद रूकती है ना दिल को ठहरने देती है….
तुम जब थे साथ तो साँसों में तुम्हारी खुशबू थी…
अपने शरीर की गंध भी उमंग देती थी…
अपने को अलग अलग रूप में संवारने का…
एक अजीब सी ललक थी हर अंदाज़ में अपने को निखारने की…
एक तरंग थी जो नृत्य करने को मजबूर कर देती थी…
एक प्यास थी जो चाह को मजबूत करती थी….
एक अहसास थी जो अपने को अपने से मिलाती थी…
जो दुनिया की हर शै से अलग कर देती थी बदहवास सी…
एक मुस्कराहट थी जो हर किसी को अपना बना लेती थी…
एक तमन्ना थी हर उस मुकाम को पाने की जो किसी का ना था…
आज वही गंध अपनी….
परायी सी है…
घुटन देती है….बहुत….
चले गए तुम….
बदल दिया मुझको….
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
बहुत ही सुन्दर कविता है आपकी बब्बु जी .
तहदिल आभार आपका……
कलम के धनी हैं आप . बेहद सुन्दर रचना .
मीनाजी…..आप सब इतने गुणीजन हो और आपके मुह से ऐसे शब्द निकलें तो लगता कुछ सफल हुआ……. आप शब्दों के चयन और बनावट पे सुझाव ज़रूर दिया करो मुझे ताकि मैं अपने में और सुधार कर सकूं…..बहुत बहुत आभार दिल से…
नमन आप की लेखनी को……………………
मनीजी….दिल से आभार आपका बहुत बहुत…….
अति सूंदर…………………
दिल से आभार आपका बहुत बहुत…….
बहुत ही सुंदर रचना शर्मा जी –
….. कहा से चुरा कर लाते हैं आप ऐसे अल्फाज़….
…….. ऐसे भाव……. बहुत खूब …..
अच्छा है आपको नहीं पता चला आपकी डायरी में से चुराए….हा हा हा….. बहुत बहुत आभार दिल से…..
बहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण शब्दो इस्तेमाल किया है आपने ……………लाजवाब रचना ……………..
बहुत बहुत आभार दिल से…..
bahut sunder kavita lazawab khubsurat.
बहुत बहुत आभार दिल से…..
विरह वेदना को जिस खूबसूरती से शब्दो में पिरोया है तारीफ़ ऐ काबील है …………बहुत खूबसूरत बब्बू जी !!
आपको पसंद आयी….हिम्मत मिली….तहदिल आभार आपका….
बेहद सुन्दर …………….
तहदिल आभार आपका….
वाह बहुत ही सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति भावो की नमन आपके लेखनको
तहदिल आभार आपका….
वाह सर!!!बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना।।।
????????
तहदिल आभार आपका….
आपने कव्हर पेटी की यह कड़ी भी उम्दा ढंग से पिरोई है।
आभार आपका
बहुत बहुत शुक्रिया….आभार आपका……
ना खुद रूकती है ना दिल को ठहरने देती है….
बहुत बढ़िया सर जी…धन्यवाद…
बहुत बहुत आभार आप का आपने मान रखा….अभिनन्दन….. आप जैसे गुणीजन अपने विचारों से अवगत करवाते हैं तो वो हमेशा लेखक को और सुधार करने की प्रवृति को बल देता है….दिल से आभार आप का….
दिल की गहराई को छूती अति सुंदर रचना.
बहुत बहुत आभार आपका…….दिल से…..
मन के सारे तार छेड़ गयी यह कविता l
वाह !!
अद्वितीय रचना !
मेरे पास आपकी प्रशंसा और प्यारभरी प्रतिकिर्या के लिए शब्द नहीं हैं…..फिर भी दिल से बहुत बहुत आभार…….
फिर भी आप शुक्रिया अदा कर सकते हैं l
निरन्तर अपनी रचनाओं को पढने का सौभाग्य देकर l
हा हा हा…..लाजवाब है अंदाज़ आपके जवाब का…रचनाओं कि तरह….कोशिश करूंगा बिलकुल लिखते रहने कि और आप जैसे गुणीजन जब साथ हों हौसला देने को तो कलम चल ही पड़ती है….पुनः आभार इस प्यार और सम्मान का…..