कभी यूँही तो मिला करो
कभी यूँही तो मिला करो
वजह तो लाखों होती है… पर
कभी बेवजह ही मिला करो
कभी यूँही तो मिला करो !!!
कुछ बातें तुमसे करनी हैं
कुछ हाल तुम्हारे लेने हैं
बात ही न सही कभी चुपचाप ही तुम मिला करो
कभी यूँही तो मिला करो !!!
काफी अरसा बीत गया
पास तुम्हारे बैठेंगे,
बातें जो तुम छिपाते हो वो बातें तुमसे पूछेंगे
झूठे तो तुम होंगे शायद, पर ये आँखें सच ही कहती हैं
चाहे लब न खोलो तुम,ये आँखें खोले रखा करो
हर पल गुमसुम क्यों रहते हो, कभी तुम भी तो खिला करो
कभी यूँही तो मिला करो
कभी यूँही तो मिला करो !!!
राहुल
राहुल जी बेहतरीन…………………………….
बहुत ही खूबसूरत……….
बहुत खूबसूरत रचना…………………….
धन्यवाद विजय जी..!
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kumarrahulblog
क्या बात है बहुत ही सुंदर……………………… ।
धन्यवाद kajal जी… !
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kumarrahulblog
अति सुन्दर ………….!
धन्यवाद…..!
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