AAP का असली चेहरा —-
काम की ना धाम की है सिर्फ़ नाम आम की है
रोज़-रोज़ आती है खबर नये आलाप की
कोई सजा भुगते हत्याओं की, प्रताड़ना की
कोई तो भुगत रहा सीडी वाले पाप की
यही सबका है चाव, पार हो जाएगी नाव
हाथों में लेके मालाएं मोदी-मोदी जाप की
अन्ना के आंदोलनो की कोख से पैदा हुई है
लोकपाल नहीँ लोकजाल नीति ‘आप’ की
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080
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sabhi ek se hai sir………………………
राजनीति के हमाम में सब नंगे है देवेंद्र जी ……..बस फर्क इतना है राजनीति में एक दुसरे को निम्न दिखाने का बहाना चाहिये !!
यूँ लगता है तंत्र आज भी बिन पैंदी का लोटा है
कोई कम तो कोई ज्यादा हर इक सिक्का खोटा है