बरसे बरसे बरखा बरसे,
पिया मिलन को जिया तरसे,
घनघोर बदरिया छायी रे,
जले बदन बरखा के जल से,
पुरज़ोर बिजुरिया भी है चमके,
सावन संग मेरे नैना भी बरसें,
कहीं कोई कोयलिया कु कु कूके,
चिढ़ होवे मुझे बहती सर्द हवा से,
छोड़ “मनी” सेवाई तू आजा रे,
संग तेरे झूमने को है मन तरसे,
तू आजा रे….
Bahut khub sir…..aap bahut acha likhte hain….
Sir,
Please tell me i have already sent my details to for adding my name in poet list but it’s not added what i have to do?
सर अपना नाम और अपने बारे में जो भी जानकारी देनी हो वो इस मेल आई दी पर भेज दे…[email protected] कुछ दिनों बाद आप को भी आड़ कर लेंगे कम से कम १० रचनाये पहले आप को पोस्ट करनी होगी इस साइट पर फिर आप का नाम अपने आप पब्लिश हो जायेगा…..आपका तहे दिल आभार रचना सराहने के लिए
बहुत खूबसूरत मनी…………………..!!
thank you so much sir……………………….
बहुत सुन्दर आपकी रचना
तहे दिल आभार आपका सर………………….
वाहह्ह्ह् लाज़वाब सृजन
thank you so much abhishek ji
बेहतरीन………………. आप्ने डिटेल भेज दिया है तो जल्द ही आपका नाम जुड़ जायेगा
thanks surendr sir……………………
BEHATARIN GEET MANI JEE. BAHUT ACHCHHEY.
thank’s bindu sir……………………
बेहद खूबसूरत…………
thank you so much sir…………………..
Nice write Mani …..
thank you so much sir………………….
बहुत ही सुंदर……………………. मनी जी ।
thank you kajal ji…………………
बहुत ही सुंदर…
thank you so much sir…………………