तुम्हारे आने से-
खिल गये आशाओं और कामनाओं के फूल
मन के आँगन और गलियारे में…
सुलझ गई मन की सारी
गुत्थियाँ हल हो गए जीवन के सारे सवाल…
उदास होठों पर थिरक उठा
जीवन का मधुर संगीत…
प्रफुल्लित हो उठा मन
सच हो उठा मानो भिनसरहा का स्वप्न…
खिल उठी मखमली धूप
मन की देहरी में
वर्षों की अमावस रात के बाद…
गुनगुनाने लगी बरबस ही खामोशियाँ
कदमों में आज मेरे
झुक गई जैसे आकाश की ऊँचाईयाँ…
मिट गई चाह दादी अम्मा के
साध हो गए पूरे सभी
बस देखकर एक झलक तुम्हें…
बेफिक्र हो गई अम्मा
घर-करनी और तमाम घरेलू-उलझनों से…
व्यवस्थित हो गया एक अदद मकान
मुखर हो उठी घर की दीवारें देखते ही देखते
उजास से भर गया घर का हर कोना
तुम्हारे आने से…
डॉ. विवेक कुमार
बहुत खुबसूरत ……….।।
पुरुष के जीवन में शक्ति केमहत्त्व को दर्शाती खूबसूरत रचना
Bahut khoobsoorat……
बहुत बहुत धन्य्वाद आपका इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए शिशिर जी.,निवातियाँ डी. के.जी एव सी एम शर्मा जी.
खुबसूरत रचना…………………………… ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपकी इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए काजलसाेनी जी.