ऐ काश के हमने तकदीर ये पायी होती,
तेरे दिल के आशियाने में थोड़ी जगह बनायीं होती
आपके अपने तो अपने हैं ये जानता हूँ मैं,
काश उन अपनों में अपनी भी गिनती आये होती
ऐ काश के हमने तकदीर ये पायी होती,
तेरे दिल के आशियाने में थोड़ी जगह बनायीं होती
ऐ काश के हमने तकदीर ये पायी होती,
तेरे दिल के आशियाने में थोड़ी जगह बनायीं होती
आपके अपने तो अपने हैं ये जानता हूँ मैं,
काश उन अपनों में अपनी भी गिनती आये होती
ऐ काश के हमने तकदीर ये पायी होती,
तेरे दिल के आशियाने में थोड़ी जगह बनायीं होती
विवेक जी….मुझे ऐसे लगता है पहले मैंने ऐसा ही कुछ पढ़ा है…. बहुत खूबसूरत…..
धन्यवाद बब्बू जी …ये मेरी खुद की कृति है हो सकता है कुछ शब्द आपने पहले सुने हों…
सुन्दर अभिव्यक्ति ……………!!
nice sir……………..