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पटना, बिहार
सर पर्वत के शिखर (तुलसीदास) से पर्वत के तल को नहीं मिलाया जा सकता. आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार. तुलसीदास जी की रचना अत्यंत सुंदर रचना है मैं तो उसके आगे शून्य हूँ.
बहुत खूबसूरत चित्रण विजय ……..!!
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
खूबसूरत आदरणीय……………..
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक जी.
Nice write Vijay……..
Thanks a lot sir.
विजयजी….मन मोह लिया बस……एक तुलसीदास जी का लिखा भजन है…ठुमक चलत राम चन्दर… याद आ गया…
सर पर्वत के शिखर (तुलसीदास) से पर्वत के तल को नहीं मिलाया जा सकता. आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार. तुलसीदास जी की रचना अत्यंत सुंदर रचना है मैं तो उसके आगे शून्य हूँ.
विजय जी आपके शब्दों और विचारों दोनों
में जादू है।
बहुत खूब ……………………………….. ।
बहुत बहुत धन्यवाद Kajal जी.