दबे कुचले और बीमारों की सेवा में जो जीवन लगा दे
ऐसा व्यक्ति इस जहाँ में कभी आम नही हो सकता है
जब तक दिल निष्पाप दया करुणा से परिपूर्ण ना हो
मुफलिसो के संरक्षण का कोई काम नही हो सकता है
मदर टेरेसा इन सब गुणों की एक बड़ी गहरी खान थी
उनकी हस्ती और सीख इसलिए पूरे विश्व में महान थी
उनकी पुनीत छवि से लाखों ने सुख शांति को पाया है
वेटिकन ने उचित ही तब माता को एक संत बनाया है
शिशिर मधुकर
संत आत्मा…..और आपकी रचना …..मेरा नमन….. यही तो है कला जीने की….
Thanks for lively comment Babbu ji
चार शतक लगाने के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ
बहुत सुन्दर रचना शिशिर जी
Thanks Manoj………………..
मधुकर जी आपके हर शब्द और आपकी रचना को मेरा नमन ।
So nice of you Kajal ji for this lovely comment.
Bahut sundar rachna, Madhukar ji, Badhaiyan.
Thanks for your valuable words Uttam ji
मधुकर जी उस महान पुण्यात्मा को रचना के माध्यम से याद करने पर कोटि कोटि बधाई।
Thanks Surendra for your loss very words.
वास्तव में संत ऐसे ही व्यक्तियों को कहा जाना चाहिए. बहुत सूंदर………………………….
Thank you so very much Vijay for your observation
बहुत सुंदर आदरणीय
Thanks a lot Abhishek…………..
अति सुन्दर उम्दा भाव शिशिर जी !!
Thank you very much Nivatiya ji