सोच रही हूँ ,
क्या मैं लिखु ,
दिल के उस अफसाने को ।
ढुंढ रही हुं अपनी खातिर ,
अपने उस दीवाने को ।
आंखे जिसकी तीखी तीखी ,
करता जो दिल की बातें ,
नींद उड़ा कर देखें मुझको ,
दिल करता मर जाने को।
सोच रही हूँ
क्या मैं कह दु ,
उसके होश उडाने को।
प्यार भरी हर एक अदा है उसकी ,
दीवाना सा है पगला भी,
दिल के हर अरमान मचलते ,
चाहे दिल , संग उड़ जाने को ।
सोच रही हूँ
कैसे देखूँ ,
थाम के जो चलता है मुझको ,
है डरता दिल उससे ,
नजर मिलाने को ।
दिल भी गहरा बातें गहरी,
अपना सब कुछ मानु मैं ,
जाने क्यु उस बेगाने को ।।
“काजल सोनी ”
उड़ा दिए होश…हा हा हा…..बेहतरीन…..
चिंता न करें मैं आपके होश वापस ठिकाने लाने की
भरपूर कोशिश करूंगी ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
काजल जी बेहतरीन रचना
आप भावो को बड़ी खूबसूरती से पिरोती है।
सुरेंद्र जी आपकी खुबसूरत प्रतिक्रिया का बहुत बहुत
धन्यवाद ।
स्त्री मन के प्रेम भावों की गहराइयों को बड़े ही खूबसूरत शब्दों से सजा दिया जो हर एक के लिस संभव नहीं. बेहतरीन
मधुकर जी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का कोटी कोटी
आभार आपका।
बहुत सूंदर………………………….लाजवाब……………..
विजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
अंतर्मन में प्रस्फुटित प्रेम अंकुर के भावो में सुन्दर शब्दो में दर्शाया है ……………अति सुन्दर काजल !!
आपकी सुंदर प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद आपका
निवातिया जी ।