ये आंसू भी कितने बदतमीज़ होते है
जब कहो इसे छुप जाने को
न जाने क्यूँ ये तभी दो लोगों के बिच सरीख होते हैं
बस छुड़ा ही रहा था मै उनसे अपने हाथ
समेट ही रहा था दो दिलों के जज्बात
आँखों को इसने आकर यूँ घेर लिया
छुपाना चाहा दर्द मैंने और नजरें फेर लिया
देख न पायी वो मुझे टूटता इस क़दर
और न चाहते हुए भी रोये हम खूब एक दुसरे से लिपटकर……
बेहतरीन आदरणीय………………….!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका……
Bahut acche………………….
thanks mani ji….
बहुत खूबसूरत ……….!!
बहुत बहुत शुक्रिया सर….
बेहतरीन………………………….
सराहना के लिए धन्यवाद
Bahut sundar….shrija ji!!
thank you so much swati ji
अति सुन्दर श्रीजा……..
Thankyou sir….
बहुत खूब………….
बहुत खूब शीर्जा जी
thank you kiran ji
क्या बात है। बहुत ही ख़ुसूरती के साथ जज्बातो को बयां किया है आपने।
thank you sir…..
बहुत ही सुंदर रचना श्रीजा जी………….. ।
thank you so much kajal ji….