जिस रास्ते वो हमेशा गुजरा करती, साथ एक लड़का भी देखा करता था,
अपनी ही मस्ती में चूर दोनों, बांहों में बांहे डाला करता था,
इतना तो पहले कभी न मुस्कुराते देखा था,
जिस रास्ते वो हमेशा गुजरा करती, कभी मैं भी अपना प्यार वहा देखा करता था,
उसकी होंठो के नीचे का तिल, उसे दुनिया की नजरो से बचाया करता था ,
आँखों का गहरा काजल, उसकी पलकें सजाया करता था,
उसके पायल से बजती धुन पर, मैं मल्हार गाया करता था,
जिस रास्ते वो हमेशा गुजरा करती, साथ एक लड़का भी देखा करता था,
दोनों की हंसी मुस्काने , दिल देख देख रोया करता था…
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To Be Continue
शीतलेश थुल
मनोभावो को सुंदर शब्दो में दर्शाया आपने !!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ साहब।
Nice expression ……….
Thank you very much Shishir Sir…..
Bahut khub आदरणीय
बहुत बहुत धन्यवाद कुशक्षत्रप साहब।
बेहतरीन…………………………………
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी।
Khoobsoorat……….
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी।
बहुत सुंदर……………………. ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी।