प्रेम की कली अभी अभी खिली,
उदास दिल को ख़ुशी अब मिली,,
हर राह पर था, तन्हा, अकेला,
आँखों में बन काजल सी खिली,,
मदहोश कर गयी सूरत उसकी,
मद बन दिल में उतरती मिली,,
लहराती जुल्फे, कटार से नैन,
आज मेरा कत्ल करती मिली,,
हार कर भी सब कुछ जीत गया,
जब साथ चलने की रजा मिली,
बहुत ही खूबसूरत…………………बहुत सुन्दर मनी जी।
thank you sitlesh ji……………….
ह्रदय के भावो को शब्द माला में गूथने का उम्दा कार्य !!
तहे दिल आभार आपका निवातिया जी …………………………
बेहतरीन गजल है आपकी और बहुत ही सूंदर तरीके से भावों को पिरोकर लिखा है आपने. विषय के तो महाराजा आप हैं ही अब लिखने के अंदाज भी बेहतरीन होते जा रहे हैं. अति सुंदर……………….
सर मार्गदर्शक आप जैसे हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं……..तहे दिल आभार आपका इस बहुमूल्य स्नेह के लिए…….
बहुत सुन्दर मनी जी।
धन्यवाद अभिषेक जी…………………
Beautiful write Maninder
thank you so much shishir sir………………..
beautiful composition ……………… मनी जी
thank you so much surendr sir………………..
Bahut bahut khoobsurat gazal..Mani ji!!!
thank you so much dr. swati ji…………………
Bahut khoobsoorat………..
thank you so much sir……………..
बहुत ही सुंदर…………………. मनी जी ।