चेहरे से कई लोग यहॉ खुश-नसीब लगते हैं
कत्ल करके किसी का भागे हुए बद.नसीब लगते हैं।
कि सर के बाल अब मकबरे के घॉस लगते हैं
बदन के कपड़े भी अब मैखाने के ग्लास लगते हैं।
कि किसे अच्छा और किसे खराब कहिएगा
गौर से देखिए जो इनको आस्तिन के सॉप लगते हैं।
कि कब्र में रोते हैं मुर्दे कफन से पोछते हैं ऑसू
आज आतंकवाद न जानें क्या.क्या सोचतें हैं।
कर्मो से ही अपने साई बाबा कितने करीब लगते हैं
मजहब थी न धर्म था उनका कितने अजीब लगते हैं।
एक हम हैं जो दूसरे के पैर पर कुल्हाडी मारते हैं
गिरगिट सा रंग बदलते एदूसरो को जलिल करते हैं।
बदल दो अपनी नीति तुलसी और कबीर बनो
वतन के लिए सीमा पर लड़ने वाले कर्मवीर बनों
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
Mobile No. 9661065930
Beautiful sarcasm & satire ……………….
Hardik dil se aabhar
क्या बात है। समाज को प्रेरित करती आपकी रचना लाजवाब है।
Thank you for your comments.
बहुत खूब…………………………
VERY VERY THANK YOU SIR.
Beautiful thoughts and observations Bindu ji
VERY VERY THANK YOU SIR.
बिन्दू जी बहुत खुबसूरत …………… .
क्या कहूँ निशब्द हूँ।
Surendra nath jee aapka bahut bahut abhar.