Homeग्वालको रति है अरु कौन रमा उमा छूटी लटैँ निचुरैँ गुयीँ मोती को रति है अरु कौन रमा उमा छूटी लटैँ निचुरैँ गुयीँ मोती विनय कुमार ग्वाल 19/03/2012 No Comments को रति है अरु कौन रमा उमा छूटी लटैँ निचुरैँ गुयीँ मोती । हाय अनूठे उरोज उठे भये मैन तुठे भये और है कोती । त्योँ कवि ग्वाल नदी तट न्हाय खड़ी लड़ी रूप की सुँदर जोती । मोरति अँग मरोरति भौँहनि चोरति चित्त निचोरति धोती । Tweet Pin It Related Posts जेठ को न त्रास, जाके पास ये बिलास होंय पाय रितु ग्रीषम बिछायत बनाय, वेष फाग मैं, कि बाग मैं, कि भाग मैं रही है भरि About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.