मां
बहती आंखें
छलकता आंचल
मां का कलेजा
स्वच्छ सुकोमल।
ले आंखों में अधूरे सपने
पालती नन्हें शिशु को अपने
कर कमलों को देकर पीड़ा
बनाती जीवन को मधुबन।
मां का कलेजा
स्वच्छ सुकोमल।
कर नजर अंदाज देती
छोटी चाहे बड़ी हो गलती
जीवन अपना देती पिंघला
ओर देती सोने को मखमल।
मां का कलेजा
स्वच्छ सुकोमल।
बड़ा होकर जब वह शिशु
बन जाता असुरों का गुरू
कर देता मां का हृदय विदीर्ण
नही लगाता है पल भर।
मां का कलेजा
स्वच्छ सुकोमल।
-ः0ः-
नवल जी माँ के बारे में जितना भी कहा जाये कम ही होगा बच्चे Uske शरीर का अंग होते. हैं इस लिए बच्चे कैसे भी हों
माँ को दुनिया में सबसे अधिक प्यार उनपर हीआता है..शायद प्रकृति का नियम है .