जाने कब मैं प्रेम की गलियो में आ गया,
दिल पर इक अजब सा खुमार छा गया,,
अभी रखा ही था पाँव जवानी के दर पर,
साथ चलने का वादा लिए कोई आ गया,,
खोया था कल तक बचपन की कहानी में,
चुपके से दिल में कोई जगह बना सा गया,
बचपन का याराना ना चाहते छूटने लगा,
देख मुझे कहता हर कोई भंवरा आ गया,,
ना देखी जात मैंने ना पूछी कोई बात “मनी”
एक पल में उस पर सब कुछ हार सा गया,,
हारकर भी तो जीत ही मिली……………………..अति सुंदर……………………………
जी सर……बहुत बहुत आभार उत्साहवर्धन के लिए आपका
बहुत खूबसूरत मनी …………………!!
तहे दिल धन्यवाद इस सराहना के लिए निवातिया जी आपका
बेहद खूबसूरत रचना………..
धन्यवाद अलका जी आपका
प्रेरक और भावपूर्ण रचना है
thank you so much sir…………..
बहुत खुबसूरत मनिंदर जी
thank you so much surendr ji
मणि जी अभी आप ज़िन्दगी के बड़े खूबसूरत मोड़ पर खड़ें हैं , ज़िन्दगी के हर पल का मज़ा लीजिये .खुश रहिये
बहुत बहुत धन्यवाद किरण जी आपकी इस खूबसूरत प्रतिकिर्या के लिए
बहुत खूबसूरत……..
thank you so much c m sharma ji……………
खोये खोये से लग रहे है सर आप “प्रेम की गलियो में”………………. बहुत खूबसूरत मनी जी।
thank you so much shitles ji