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पटना, बिहार
ग़ज़ल ने संभाल नही लिया आपको रोशन कर दिया ………..बहुत खूबसूरत सर्जनात्मकता ……मानवीय संकीर्ण सोच को बहुत बेहतरीन तरीके से उकेरा है ………दमदार कटाक्ष ………….आपकी संजीदगी भरी विचारशीलता का अभिनंदन………….अति सुन्दर विजय !!
विजय जी..आपकी कविताएं वास्तविकता और आज की सच्चाई का बहुत ही ख़ूबसूरती से बखान करती है। और आप हर तरह की कविताओं को लिखने में निपुड़ है। और आपकी कविताये पढ़ने में एक आनन्द की अनुभूति होती है और बहुत कुछ सीखने को मिलता है।।
bahut hi sunder gazal…………………..
आपका बहुत बहुत धन्यवाद mani जी.
नहीं बकशोगे किसी को भी… हा हा हा…..लाजवाब……..
बस आपका आशीर्वाद मिलता रहे तो लिखता रहूँगा. आपका ह्रदय से आभार.
ग़ज़ल ने संभाल नही लिया आपको रोशन कर दिया ………..बहुत खूबसूरत सर्जनात्मकता ……मानवीय संकीर्ण सोच को बहुत बेहतरीन तरीके से उकेरा है ………दमदार कटाक्ष ………….आपकी संजीदगी भरी विचारशीलता का अभिनंदन………….अति सुन्दर विजय !!
आपकी सराहनीय परख और सुवचनों के लिए अल्फाजों की कमी है. प्रचलित शब्दों के आलावा कोई शब्द चाहिए. आपका ह्रदय से आभार.
Bahut hi sundar Gazal..
आपका ह्रदय से आभार.
Vijay ji, sambhal lijiye bhai. Great
आपका ह्रदय से आभार.
Bahut achchhi gazal – bahut khub badiya. kya baat hai.
आपका बहुत बहुत धन्यवाद bindu जी.
बेहतरीन ग़ज़ल विजय जी
सर, लंच ब्रेक पर मेरे पास आयी है, बोलती है वापस आपही के पास जाना है. आपका ह्रदय से आभार.
बहुत खूब शानदार आदरणीय
आपका बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक जी.
विजय जी..आपकी कविताएं वास्तविकता और आज की सच्चाई का बहुत ही ख़ूबसूरती से बखान करती है। और आप हर तरह की कविताओं को लिखने में निपुड़ है। और आपकी कविताये पढ़ने में एक आनन्द की अनुभूति होती है और बहुत कुछ सीखने को मिलता है।।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद. सौभाग्य है मेरा की मेरी रचना से आपको कुछ सीखने को मिलता है.