तेरे गाँव की गलियां बड़ी रूहानी लगे
मिटटी से निकली सुगंध सुहानी लगे
चुरा लूँ कुछ लम्हे अगर बुरा न मानो
मुझे इनमे कृष्ण राधा की कहानी लगे !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
तेरे गाँव की गलियां बड़ी रूहानी लगे
मिटटी से निकली सुगंध सुहानी लगे
चुरा लूँ कुछ लम्हे अगर बुरा न मानो
मुझे इनमे कृष्ण राधा की कहानी लगे !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
बेहद सुन्दर ……………
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी ।।
लाजबाब सृजन आदरणीय
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक ।।
सर टाइपिंग मिस्टेक को सुधारें, सारा भाव ही बिगड़ जा रहा है. गलियां की जगह गालियां हो गया है. बहुत सूंदर……………………….
आपकी पारखी नजर को नमन …..बहुत बहुत धन्यवाद आपका …..यक़ीनन सारा गड़बड़झाला हो गया था …….टंकण त्रुटी सुधार दी गयी है संज्ञान में लाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद विजय आपका ।।
बेहतरीन रचना निवातियाँ जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ।
मुझे तो आपकी लाजवाब लेखऩी लगे.
शुक्रिया आपका ।
मुझे तो आपकी लाजवाब रवानी लगे.
शुक्रिया आपका ।।
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी लगे,
क्या खुबसूरत भाव सजाएँ है गुरुवर!
बढ़िया मुक्तक । आज भी गाँव की वह शोधी खुसबू तन मन को सुरमई बना देती है
आप की अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ……!!
Hamesha ki tarah khoobsurat rachna….sir!!!
??????
आप की अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ……!!
निवतियां जी आपकी कविता ने वृन्दावन की याद. ताज़ा कर दी .बहुत सुंदर
आप की अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ……!!
सच में रूहानी……??इस से ऊपर कुछ नहीं…
आप की अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ……!!
bahut acche sir………………………
बहुत बहुत शुक्रिया मनी……..।।
हर बार की तरह ये भी लाजवाब ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल……………….सजदे में नाम से आप के लिए रचना है नजर कीजियेगा !!
निवातियाँ जी बहुत अच्छी लाइनें
आपकी प्रतिक्रिया पाकर बड़ी प्रसन्नता हुई…………यदाकदा ही सही रचना नजर कर अमूल्य सुझाव की आशा रहती है ……. तहदिल से शुक्रिया शकुंतला जी
sir salaam aapko ….aap itana ahcha likhte hai
SHUKRIYA AAPKA ………………!!