गजल बह्र 2122 2122 2122 212
अब हमारी सोच में बदलाव आना चाहिए
बेटियों को साथ लेकर घर बसाना चाहिए।।
सानिया साक्षी मिताली सिन्धु पीटी साइना।
देश का गौरव बनी सबको दिखाना चाहिए।।
इस धरा पर ईश का वरदान हैं सब बेटियाँ
फैज से आबाद सबका आशियाना चाहिए।।
बेटियों को कोख में जो मारते हैं वाल्दैन
जुर्म उनका खुलके सबके बीच आना चाहिए।।
बेटियों के जन्म पर जो शोक में हैं डूबते
असलियत से रूबरू उनको कराना चाहिए।।
बेटियों को कह रहे है जो पराया धन उन्हें
बेटियाँ बरकत दिलाती ये बताना चाहिए।।
बेटियों को मानते हैं अपशगुन जो नासमझ
बेटियों से है जहाँ रौशन सिखाना चाहिए।।
सुरेन्द्र नाथ सिंह ‘ कुशक्षत्रप’
बेहतरीन ग़ज़ल सुरेंद्र …………………….
गजल पसंद करने के लिए धन्यवाद। इस विधा में मै अत्यंत नया हूँ अतेव बह्र के हिसाब से कोई सुझाव हो तो अवश्य सुझावें
बेटियों को कोख में जो मारते हैं वाल्दैन
जुर्म उनका खुलके सबके बीच आना चाहिए।
बहुत ही सुंदर श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह जी…
आदरणीय श्री मार्कण्ड दवे जी आपके इस प्यार भरे प्रतिक्रिया से मुझे बल मिलेगा।
बेहतरीन भावों से सज्जी……कमाल…..नमन आपको….बेटियों का पूजन भी उनको दिखाना चाहिए…
आदरणीय श्री सी एम् शर्मा जी प्यार देने के लिए करबद्ध प्रणाम।
मनोभावो को पूर्ण करती आपकी यह कृति सबसे अदम्य है। “बेटियाँ ” सच में देश का गौरव है। हमारा देश भी भारत “माता” नाम से जाना जाता है।
आदरणीय श्री शीतलेश थुल जी रचना पसंद करने और अपने विचार रखने के लिए नमन संग अभिनंदन!
वाह बहुत सुंदर आदरणीय सादर वदंन
धन्यवाद अभिषेक जी
Betiyon ke liye bahut hi sundar bhav….sir!!!apko mera naman..
डॉ स्वाति जी आभार आपका!
समाज को सच का आइना दिखाती बेटियो को समर्पित बेहद उम्दा रचना …………!!