मशाले जला, चला जा रहा है कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, कहा जा रहा है कोई ?
पीछे छोड़ता गहरा अँधियारा, चला जा रहा है कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, कहा जा रहा है कोई ?
होंठो को सीकर अपने , आँखों में पट्टी बांधे, गुमनाम हो रहा कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, क्यों वजूद खो रहा है कोई ?
बन्दुक की नोक पे बैठे, आतंक का कफ़न ओढ़े, क़त्ल कर रहा कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, क्या कर रहा है कोई ?
नीम से भी कड़वा, गुड से भी मीठा है कोई,
यही बात पचा ना पा रहा कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, कौन सा इन्तकाम ले रहा है कोई ?
चढ़ा कर सूली पर उसको (सच्चाई), नोटों से चितायें जला रहा है कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, किसे जला रहा है कोई ?
भस्म हो गया वो लालच की आग में, पाप की राख से अस्थियाँ बिन रहा है कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, क्या बिन रहा है कोई ?
विसर्जित हो गया झूठ की गंगा में, वो देखो बहता जा रहा है कोई,
कोई मुझसे भी तो पूछे, कहा जा रहा है कोई ?
शीतलेश थुल !!
सामाजिक बुराइयों पर मन के द्वन्द का सुन्दर चित्रण
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी।
आपकी इस रचना से महान कार्टूनिस्ट Sh.R.K. Laxmanji की याद आ गयी…वो अपने हर कार्टून में एक आम आदमी को चश्मा पहने दिखाते थे….आप की रचना में अपने आप को रख के जो आपने समाज के ढाँचे का नक्शा खींचा है…काबिले तारीफ़ है….. बेहद खूबसूरत………
आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिये आपको मेरा कोटि कोटि प्रणाम।
बहुत बेहतरीन भाव शीतलेश आपकी सोच बहुत उम्दा है …सकरात्मक भाव से कहना चाहता हूँ …रचना के अंत में अगर अपने प्रश्न का उत्तर दर्शाने में सफल होते तो रचना में पूर्णता सार्थकता उभर आती ….कृपया अन्यथा न ले !!
आदरणीय निवातियाँ साहब। आपके बहुमूल्य सुझाव सदैव मेरी कविता के प्रति हितकर रहे है। इस कविता की Theme “सच्चाई और इंसानियत ” पर आधारित है। मैंने पूर्णतया प्रकाश डालने की कोशिश करी है। किन्तु एक अधूरापन सा तो है। एक बार पुनः आपको मेरा नमन इस खूबसूरत हितैषी प्रतिक्रिया हेतु।
बेहद खूबसूरत………
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक जी।
बहुत खूब……………………
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी।
विचारो की उद्दिग्नता को समाज के सामने रखती खुबसुरत रचना। शितलेश जी कवि प्रश्न तो ठीक पर अगर कुछ हल के भाव दिख जाते तो आपकी सोच परिलक्षित खुल कर होती।
माननीय कुशक्षत्रप साहब आपके इस बहुमूल्य सुझाव के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ। मैंने कविता की पंक्ति को प्रश्नोत्तर लिखने का प्रयास किया है। परंतु Theme खुल के उभर नहीं पायी। कविता के प्रति आपका अपनापन और शुभचिंतक प्रतिक्रिया हेतु आपको सहृदय नमन करता हूँ।
बहुत ही बढ़िया।।।
सहृदय धन्यवाद स्वाती जी।