कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!
जब जब जाऊं मै जमना के तीर
छलकत जाये मेरी गगरी से नीर
डर डर कर मोरे कदम उठत है
रैन दिवस मनवा में होये क्लेश रे ।।
कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!
जब जब भोर भये जाऊं पनघट पे
नित मोरी राह निहारे बैठ वो वट पे
शर्म के मारे मोहे आवत बड़ी लाज
कोई बताये कैसे रखूं दामन पाक शेष रे ।।
कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!
रोज – रोज़ मुझको जो ऐसे वो घेरे
वक़्त बे वक्त लगावे अंगना के फेरे
सखी सहेली मोहे उस नाम से छेड़े
बदनामी से बचने का दे दो मुझे उपदेश रे ।।
कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!
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(डी. के. निवातियाँ )
बेहतरीन गीत निवतिया जी.
तह दिल से शुक्रिया आपका शिशिर जी !!
Wah D K Sahab bahut achchhi geet aapne likhi hai sunder manbhawan sada suhawan hai. ….
तहदिल से शुक्रिया आपका बिंदु !!
ati sunder sir………………………
तह दिल से शुक्रिया आपका मनी !!
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…….
तह दिल से शुक्रिया आपका बब्बू जी ………..हाहाहाहा ……………लगता है हमारे लिये शब्द कोष में ताला डाल दिया आपने !!
बिलकुल सही कहा आपने….अगर मुंह खुला ही रह जाए वाह्ह्ह्ह्ह्ह में तो शब्द कहाँ से आएंगे….मेरा नेट का भी मुंह उड़ गया बताओ….और आप को पता मुंह ऐसे कब खुला रह सकता…हा हा हा…..सर आपका गीत शब्दों से बहुत ऊपर है…….वैसे भी शब्दों में हाथ तंग मेरा…..सच में बेहतरीन….बेमिसाल…लाजवाब…..शब्दों से बहुत ऊपर मेरे लिए…..
हाहाहा……… आखिर आपके मुखारविंद से वचन निकलवा ही दिये…..आदत जो हो गयी है आपको पढ़ने सुनने की …आपके शब्दो का जादू ही ऐसा है …….बात प्रशंशा की नही आपके अनमोल वचनों की है ………कोटि कोटि आभार आपका !!
अति सुंदर रचना,………….!
रचना पसंद करने के लिए बहुत धन्यवाद विकास आपका !!
बेहतरीन रचना सर…………..
रचना पसंद करने के लिए बहुत धन्यवाद अलका आपका !!
निवतियां जी बहुत ही खूबसूरत रचना है
उत्सावर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद किरण जी !!
बहुत खुबसूरत गीत, आकाश भर की बधाई लीजिये।
सुरेंद्र आपकी बधाईया सहर्ष ह्रदय में संचित है ………..उत्सावर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका !!
बहुत ही कर्णप्रिय और दिल को छू लेने वाला गीत प्रस्तुत किया है आपने। आप इसे चलचित्र में भेजने का प्रयास करे। मैं इसे मधुर संगीत की धुन पर सुनना चाहूंगा।
उत्सावर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शीतलेश आपका ……..आपकी मंत्रणा विचारणीय है अवसर मिलने पर प्रयास अवश्य किया जाएगा !!
मैंने देखा तो सोचा की मुझसे ये रचना छूट गयी है. क्या सुंदर गीत है. अति सुंदर……………….
कोई बात नही स्मरण करा देते………… अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया विजय आपका !!