छोडो ये रूठने मनाने की गुस्ताखियां
नफरत की आग में कही खुशियो के पल जाया न हो !
जी भर के कर लो आज दिल की बाते
क्या पता आने वाले पल के नसीब में ये पल हो न हो !!
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डी. के. निवातिया[email protected]
छोडो ये रूठने मनाने की गुस्ताखियां
नफरत की आग में कही खुशियो के पल जाया न हो !
जी भर के कर लो आज दिल की बाते
क्या पता आने वाले पल के नसीब में ये पल हो न हो !!
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डी. के. निवातिया[email protected]
लाजवाब……सर हमारा तो नसीब खुल गया…चश्मा लगा के……
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के तहदिल से शुक्रिया बब्बू जी ……….रब करे आपके साथ सबका नसीब खुले ………..संग में हमारी किस्मत का भी द्वार खुले !!
अति सुंदर ………………………….
तहदिल से शुक्रिया विजय आपका !!
सर कविजन भाग-१ में आपके लिए कुछ सन्देश है. अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें. कविजन श्रंखला की दो कड़ियाँ अभी तक मैंने दी हैं जो कविजनों के लिए लिखी गयी हैं. आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में हैं.
रचना नजर न कर पाने के लिए क्षमा प्रार्थी विजय …………….अविस्मृत रचना के प्रति ध्यान आकर्षित कराने के लिए आपका शुक्रगुजार हूँ …..आपकी रचनात्मकता के लिए निशब्द सा हो गया हूँ फिर भी अपने ह्रदय के भाव उक्त रचना पर प्रेषित किये है आशा करता हूँ आप मेरी भावनाओ को सप्रेम अनुभूति कर सकेंगे !!
अत्यन्त सुन्दर मनोभाव ……,बहुत सुन्दर रचना निवातियाँ जी !!
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ….!!
Lovely write Nivatiya ji
Thank ypu very much Shishir ji …!!
लाजवाब रचना निवातिया जी……………… ।
Thank you very much Kajal ………!!
Sir….Bahut hi khoobsurati se aapne itna pyara sa message diya hai….It’s superb superb and superb!!
Thanks a lot to admire deeply appreciate by you SWATI. thanks again.