तुम्हारा ख्याल आता हैं तो मुझको आराम मिलता हैं
प्यासी धरती को मानो घने मेघों का पैगाम मिलता हैं
जिस मुहब्बत में हरदम पास होकर भी कोई दूर रहे
उसमें तन्हा तड़पने का ही कठिन अंजाम मिलता हैं
हम तो रुस्वा भी हुए और कितने ही दुश्मन भी बने
सताये हुए को चाहने का यही एक इनाम मिलता हैं
खुशफहमियां कई बार हम लोगों को हो ही जाती हैं
मगर सच में मुकद्दर से ज़माने का सलाम मिलता हैं
राधा सा प्रेम यहाँ करने की जिनमें कूवत हैं मधुकर
उन्ही बालाओं को तो मुरलीधर घनश्याम मिलता हैं.
शिशिर मधुकर
राधा सा प्रेम यहाँ करने की जिनमें कूवत हैं मधुकर
उन्ही बालाओं को तो मुरलीधर घनश्याम मिलता हैं.
बहुत अच्छे श्री शिशिर जी…
हार्दिक आभार दवे जी
मतला से ले के मकता तक कमाल है शब्दों का….क्या कैफ़ीयत है…वाह….हाँ मकता सबसे ज्यादा कमाल लगा मुझे जिसने ग़ज़ल का मूड सेट कर दिया….. हाँ दूसरा शेर जैसे ही पढ़ रहा था मेरे दिमाग में एक दम अंजाम की जगह इनाम आया… हा हा ….और अगले शेर में इनाम दे दिया आपने…. अंजाम मुझे लगता ग़ज़ल या मोहब्बत में एक अंत का नाम है… हाँ उसे प्रयोग अलग अलग अंदाज़ में करते देखे हैं मैंने बहुत…. बेहतरीन…….. आपकी कलम हो और शब्दों का भावों से दोस्ताना ना हो…हो नहीं सकता…..
बब्बू जी आपके मुहब्बत भरे शब्दों के लिए शुक्रिया
बहुत ही बेहतरीन जनाब। लाजवाब।
बहुत बहुत धन्यवाद शीतलेश
वाह बहुत सुंदर आदरणीय सादर नमन
हार्दिक आभार अभिषेक
बेहतरीन रचना आदरणीय श्री मधुकर सर। हर एक शेर सवा शेर!
सुरेंद्र आपके मुहब्बत भरे लफ्जों के लिए दिल से शुक्रिया
Sir ji… bahut hi khoobsurat??
बहुत बहुत शुक्रिया डॉ. स्वाति
तुम (गजल) रूठी रहो मैं मनाता रहूँ, शिशिर सर को लिखना भाता रहे. अति सुंदर…………………..
विजय आपकेप् प्रेम भरी वाणी को नमन
बेहद खूबसूरत ….क्या खूब भावो को संजोया है अति सुन्दर शिशिर जी !!
ह्रदय से शुक्रिया निवतिया जी
शब्दों के कुशल चितेरे, मधुकर जी की कलम में बहुत दम है….
राधा सा प्रेम………बहुत सुन्दर
Take dil se aapka shukriya Dr. Mahesh ji …….