————————————————————————————
सोच-समझ विचार कर देखो, क्या मानव का कर्म है ।
आतंकी कुरूपता को त्यागो, यह तो महा अधर्म है ।
मानव मन में ईश्वर है, जिसका प्रतीक है प्रेम विमल,
सबके हित की रक्षा करना, ही मानव का धर्म है ।
अभिषेक शर्मा अभि
————————————————————————————

कमाल की बात कही है आपने अभिषेक जी। “सबके हित की रक्षा करना, ही मानव का धर्म है ।” बहुत बढ़िया…….
मानवता का पाठ पढ़ाती खूबसूरत रचना ……………अति सुन्दर अभिषेक !!
अति सुन्दर ……………..
अभिषेकजी….सच में आपके ह्रदय के भाव हर जगह कायम हो जाएँ….दुआ है मेरी…लाजवाब…..
अति सुन्दर ……………..
Abhishek ji sundar likha hai…..
बहुत ही सुंदर……………………. ।