कभि सोचा न था ख़्वाबों में
मोहब्बत की ऐसी कीमत अदाई करनी होगी….
अपना सच्चा प्यार पाने के खातिर
अपने माँ-बाप की ही जगहसाई करनी होगी
या तो मुझे अपना प्यार छोड़ना होगा
या फिर अपने माँ-बाप यानी संसार छोड़ना होगा
उसने कहा है ये है मेरे मोहब्बत की इम्तेहाँ
मुझे अपना घर-बार छोड़ना होगा
हूँ मै उस दौराहे पे खड़ा
जहाँ हर ओर से मेरी हार है
एक तरफ है कर्तव्यों की इम्तेहाँ
एक तरफ कटघरे में मेरा प्यार है…..
कभि याद आते तुम्हारे साथ बिताये वो खुबसूरत लम्हे
तो कभि माँ की दुलार है
कभि तुम्हारा मुझसे रूठ जाना
कभि माँ की डांट फटकार है……
कभि तुम्हारे बाहों में टूटकर रोना
कभि माँ का आँचल से मेरे आंसू पोंछना
कभि मेरी एक हामी से तुम्हारा खिलखिला उठना
कभि मेरी हंसी देखकर माँ का खुशि से रो देना….
डाल दिया है इन एहसासों ने मुझे गहरे कशमकश में
अब निर्णय भी कहाँ रहा मेरे बस में……
फिर भी जब मै महसूस करूँ दोनों के प्यार को
माँ का पलड़ा हर ओर से भारी है
पर क्या करूँ तुझे भी न छोड़ पाऊं
आखिर जो तू जान से भी प्यारी है
समंदर सा उफान उठा है दिल में
आ गया हूँ मै कितनी मुश्किल में
गर जो तू मुझसे सच्चा प्यार करती है
गर तेरी साँसे मेरे लिए ही चलती है
तो तुम्हे उन्ही साँसों की कसम भूल जाना मुझे
गर जो कभि जिया हो मेरे लिए तो न याद आना मुझे
सही कहा है आपने… प्यार और मातापिता के बीच में चुनाव मुश्किल है।
और मातापिता की दुःख देकर सुख से रहना भी मुश्किल है।
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना।।
thank you swati ji
मन के भावों का द्वन्द………..बहुत सुंदर………………
thank you sir….
खूबसूरत अभिव्यक्ति ………………..!!
Thank you sir…..
very nice…………………..
Thanks mani jiii…..
beautiful work shrija
Thank you sir….
आज के समय में ये इम्तिहान सबको देना पड़ता है।
बहुत ही खूबसूरत………… काबिले तारीफ है
आपके भाव ………. मेरी जिंदगी से कुछ जुड़ी हुई।
its sad but truth…… thank you so much
बहुत ही खूबसूरती से द्वन्द का चित्रण………
thank you…..
कशमकश में कोई भी निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है ………………… बहुत ही बढ़िया श्रीजा जी !!
Thank you sir….
श्रीजा जी बेहतरीन
Than you sir…..