कौन कहता है ज़माने में वफादारी नहीं
हिम्मत है अगर मुझ में तोह कोई गदारी नहीं
कैसी भी राह बनायीं गयी हो मेरे लिए …….
मैं हूँ सिपाही , मेरी दर्द से कोई भागीदारी नहीं
खड़ा हूँ बीच मैं तेरे , मेरे देश के ओ दुश्मन
खड़ा हूँ राह मैं तेरी , जो मेरे देश तक आई
मेरे सीने को मैंने किया है पत्थर की तरह
हिलेगा नहीं फ़र्ज़ से कभी जो कोई गोली तेरी आई
मैं रक्षक की तरह हूँ इस हिन्द का सिपाही हूँ
अगर हिम्मत है तो कर के दिखाए कोई फनाह मुझको
मेरी जो रोटी है वो मेरे देश की अमानत है ………
हो जायेगा भस्म जिसने भी आंखे देश को दिखाई है
मेरी शद्दत से ही रोशन है मेरे देश की गालिया
ये फूलो भरी क्यारी और जगमगाती सी हुई लाडिया
मुझको मेरा भारत अपनी जान से भी प्यारा है …
तू बस रुक जा ज़रा अभी तेरा वक़्त प्यारा है ….
इन् गोलियों से मुझे क्या कोई हराएगा …
में हूँ हिन्द की सेना मुझे क्या कोई भगाएगा
मैं फौजी हूँ ज़माने मैं मेरा रुतबा ही ऐसा है
मैं खड़ा हूँ जहाँ वहां तक कोई दुश्मन न आएगा …….जय हिन्द
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बहुत ही सुन्दर रचना देश के सिपाही के लिए……पर कुछ टाइपिंग मिस्टेक है एक बार फिर से देखे ………………….
तमन्नाजी….लाजवाब….हाँ मनीजी ने जो कहा वो आप चेक कीजेए….पढ़ते समय अड़चन नहीं लगेगी किसी को…..
बहुत खूब लिखा है आपने……..
खूबसूरत रचना…………………………सैनिकों का हौसला बढ़ानेवाली.
बहुत ही सुंदर देश भक्ति………………… ।
beautiful ……………………..!
अति सुन्दर ््््््
सुन्दर लाइनें बधाई –
इन् गोलियों से मुझे क्या कोई हराएगा …
में हूँ हिन्द की सेना मुझे क्या कोई भगाएगा
मैं फौजी हूँ ज़माने मैं मेरा रुतबा ही ऐसा है
मैं खड़ा हूँ जहाँ वहां तक कोई दुश्मन न आएगा …….जय हिन्द
मुझको मेरा भारत अपनी जान से भी प्यारा है …
तू बस रुक जा ज़रा अभी तेरा वक़्त प्यारा है ….||
Dhanyawaad Sukhmangal Singh ji