हे ! स्वतंत्र देश के वासी ,
‘निश्छल’, ‘निष्पाप’ हृदय राशी
जो दे गये तुम्हें ‘अमृत’ दान
कर जोड़ करो “उन्हें प्रणाम”।
जो मिट गये इस ‘भू’ पर
आजादी की करके पुकार
गुणगान करो तुम उनका
करके जयकार
हृदय में रखो उनके लिए मान
कर जोड़ करो “उन्हें प्रणाम”।
“गाँधी” “टैगोर” और “बोस”
आजादी का करके जयघोष
जो दे गये हमें अमूल्य रत्न
करके “सत्य-अहिंसा” का प्रसंग,
हमको उन पर है, अभिमान
कर जोड़ कर रहे “उन्हें प्रणाम”।
वो आजादी के परवाने
“भारत माँ” के दीवाने
जिन्होंने आजादी के नाम पर
रख लिया अपना नाम
कर जोड़ कर रहे “उन्हें प्रणाम”।
उन “शहीदे-आजमों” का सर्वत्र
हो रहा जयघोंष
जो दे गये “दिव्य-अलौकिक सन्देश
जिनका रवि-मण्डल सा बिखर रहा प्रकाश
उनको नमन करने की अभिलाष
जो ‘भू’ पर अमर कर गये स्वनाम
कर जोड़ कर रहे “उन्हें प्रणाम” ।।
– आनन्द कुमार
हरदोई (उत्तर प्रदेश)
बहुत खूब सचमुच उन्हे प्रणाम
देश प्रेम से ओतप्रोत शानदार रचना
आजादी के परवानो को समर्पित खुबसूरत भाव लिए सुन्दर रचना ।
देशभक्ति और जवानों को समर्पित उतम रचना
जो भी आजादी के लिए शहीद हुए हैं उन सब को नमन ……………………. बहुत बढ़िया आनन्द !!
बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का. ……