यहाँ जिस्म ढकने की जद्दोजहद में…
मरते हैं लाखों..कफ़न सीते सीते…
जरा गौर से उनके चेहरों को देखो…
हँसते हैं कैसे जहर पीते पीते…
वो अपने हक से मुखातिब नहीं हैं…
नहीं बात ऐसी जरा भी नहीं है…
उन्हें ऐसे जीने की आदत पड़ी है…
यहाँ जिन्दगी सौ बरस जीते जीते…
कल देश में हर जगह जश्न होगा…
वादे तुम्हारे समां बांध देंगे…
मगर मुफलिसों की बड़ी भीड़ कल भी…
खड़ी ही रहेगी तपन सहते सहते…
-सोनित
बहुत सुंदर सोनित जी
धन्यवाद आनंद जी. …………..
बहुत बढ़िया ……क्या बात है
धन्यवाद विजय जी…….
dil ko chu rahe apke lafz………………..very nice……………………..
बहुत बहुत शुक्रिया मनी जी…………
बहुत सुन्दर सोनित जी !!
शुक्रिया आनंद जी……………
वाह । बहुत खूबसूरत रचना
बहुत आभार अभिषेक जी……………
Well said Sonit
शुक्रिया सर……………….
सोनित जी आपने जश्ने आजादी बीच ऐसे पहलू को छुय जिसपर सर्व जन की निगाह नहीं जाती। कोटिश नमन
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए कोटिश नमन सुरेंद्र जी…………..
यथार्थ के वो पहलू जिन्हें सदीव नजर अंदाज किया जाता है ………..आपकी विचारशीलता को बहुत बहुत बधाई ।।
मेरा हौसला बढ़ाने बहुत बहुत शुक्रिया सर…………..
बहुत ही बढ़िया ………………………. बेहतरीन सोनित !!
शुक्रिया सर्वजीत जी………….
Nice…………..,
धन्यवाद मीना जी………..