ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।आँख जो तुझपे उठी तो, हम दुश्मन को मिटा देंगे ।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।वतन हम तेरे दीवाने, तुझपे सबकुछ लूटा देंगे ।शाख पे जो आंच आई तो, हम शीश कटा देंगे ।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।जिसने तेरा साथ निभाया, उसपे प्यार लूटा देंगे ।बदले अहसान के उसके, हम पलकें बिछा देंगें ।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।जिसने तेरा मान घटाया, हम उसको मिटा देंगे।बदले अपमान के उसके, हम लाशें बिछा देंगे ।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।शिक्षा है तेरी खेती, हम दुनिया में बता देंगे।माटी है तेरी महकती, हम दुनिया में जता देंगे ।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।ऐ वतन तेरी शान क्या है, दुनिया को दिखा देंगें ।तेरी खातिर जान क्या है, मालों दौलत लूटा देंगे ।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।एक “आबिद” तू ही क्या, हर ओर दीवाने दिखा देंगे ।फ़िदा तुझपे जिंदगी क्या, खुदको दीवाना बना देंगें।।ऐ भारत तेरी खातिर, हम खुदको मिटा देंगे ।
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आबिदजी….बेहद खूबसूरत भाव हैं……..
बेहत खूबसूरत भावों से सुसज्जित रचना. बहुत सुंदर ……….
एक बार “धुंध अब छंटने लगी, अरुणोदय होने लगा … ” और “ये सफर रेल का… ” पढ़ें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
देशभक्ति के भावो से परिपूर्ण खूबसूरत रचना ……………!!
bahut hi sunder bhavo yukt rachna apki………………..
Lovely write full of patriotic sentiments……………
बहुत खूब आबिद जी !