खुशनुमा माहोल में
खोज रहा था ह्रदय
आजादी के मायने
उलझ कर रह गया
खुद ही के सवालों में ।
क्या समझ पाया
क्या नही, नामालूम
बस द्वंद में भटक गया
कुछ इस तरह से !
किसको आजादी मिली ?
कौन आजाद हुआ ?
सुना है
कानूनी पहरेदारो से
सबको है अभिव्यक्ति की आजादी
संविधान में लिखा बताया है ।।
जोश भर गया मन में
अब खोलूँगा सत्य के
सब पट बड़ी बेबाकी से
मगर ये क्या
जरा मुख क्या खोला था …!
लग गया मानहानि का मुकदमा
अब काट रहा हूँ सजा
सत्य का पालन और
अभिव्यक्ति जताने ।।
आँखों ने तो देखा है
शाशन और प्रशाशन
दोनों को है आजादी
अपनी माफिक कर लगाने
दंड देने और जुर्माने हर्जाने
वसूल करने की ।।
नेताओं को है आजादी
अनाप शनाप भाषण देने की
जो सहमत वो आजाद
जिसने असहमति जताई
प्रसाद स्वरूप सजा है पाई ।
उनको है पूर्ण आजादी है
नफरत की आग फैलाने की
चन्द गुर्गो को
अपनी मांगो का सहारा लेकर
राश्ट्रीय सम्पत्ति को
हानि पहुंचाने की ।।
या फिर उद्योगपतियों को
लाचार बेबस मजदूरों का
शक्ति से हनन करने की
भूख के बदले सजा पाने की ।।
और बहुत है सवाल
अनसुलझे अनबुझे से।
बस इतना समझ पाया
आजादी है आम जन को
आतंकवाद या फिर
अन्य अपराधो
की भेट चढ़ जाने की ।।
अभी तक उलझा हूँ
इस उलझन में
फिर सोचा क्या करू
चलो मना लेते है हम भी
परम्परागत
जश्न -ऐ-आजादी …….।।।
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डी के निवातियाँ..????
Very nice poetry Nivitiya sahab “jai Hind”
जय हिन्द राजीव …….सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।।
जय हिन्द ।खूबसूरत रचना आदरणीय निवातियाँ जी
जय हिन्द अभिषेक सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
बहुत सुंदर रचना आजादी के प्रति दिल का दर्द बयां करती ……………..जय हिन्द !
जय हिन्द विजय ………बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
lovely sarcasm on the fake customary freedom celebration. There is nothing like freedom we just got self rule.Most of the problems have even deteriorated.
You are right shiahir ji ……….thanks you very much for valuable comments .
ajadi ki khushi ko nazar lagati samasaye…………………….bahut badiya sir
बहुत बहुत धन्यवाद मनी ।।
Sir…hamesha ki tarah khoobsurat poetry…
सच्चाई को बड़ी खूबसूरती से पेश किया है।।
बहुत बहुत धन्यवाद स्वाति आपका ।।
बिलकुल ठीक फ़रमाया जनाब, आजादी के लिए सब के अपने अपने नियम हैं जो जैसे चाहता है उसका इस्तेमाल करता है ………………………….. बहुत खूब ……………………………….. बेहतरीन निवातियाँ जी !!
वास्तविकता यही है सर्वजीत जी ………..आजादी को खिलौना समझकर प्रयोग किया जाता है ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
निवातियाँ जी बेशक कई कमिया है यहाँ, आजादी मिलने के बाद भी। पर उसके लिए मेरी समझ से काल खंड भी उतना ही जिम्मेदार है। संविधान एक दस्तावेज है शासन को उचित ढंग से चलाने का। समय समय पर अगर हमे कोई भ्रम दिखता है तो उसकी भी व्याख्या माननीय सुप्रीम कौर्ट करता रहा है। 121 करोड़ अवाम की उम्मीदों पर पूर्णतया खरा उतरना संविधान की सबसे बड़ी बात है।
फिर भी कई तथ्यों पर विवाद खड़ा किया जाता है, जैसे अभिव्यक्ति की आजादी का बात ही ले लिया जाये। अभिव्यक्ति के आजादी के इंडेक्स में भी हमारा स्थान 32वा है, मतलब यहाँ भी हम बहुत आगे नहीं हैं।
आजादी का मतलब जहाँ तक मै समझता हूँ वह है, अनुशासन में रहकर अपनों के शासन के बीच जीना।
तर्क वितर्क अपनी जगह, जश्ने आजादी अपनी जगह
मेरी दिली मुबारकवाद आपको इस आजादी दिवस पर
जय भारत….
आपकी इस विवेचनात्मक प्रतिक्रिया का ह्रदय से आभार सुरेन्द्र । …..अति प्रसन्नता का विषय है की रचना को गंभीरता से लेते हुए आपने बेशकीमती विचार प्रस्तुत किये निसंदेह आपके ज्ञान और और आपकी भावनाओं ने मुझे आपके प्रेम में अभिभूत कर दिया ………आपके द्वारा कही गयी प्रत्येक भाव का समावेश रचना में समाहित है जो आपके विचारों को सहमती प्रदान कर आजादी के जश्न को हर्षोल्लास से मनाने के लिये प्रसन्नचित्त है ।।
आपके प्रेम भाव का सदैव आकांक्षी ….पुन: धन्यवाद आपका ।