क्या कहूँ के अब ,
कहने सुनने को कुछ बाकी ना रहा।
तुमने जो पूछ लिया “आप कौन”
जान पहचान को कुछ बाकी ना रहा।
यादों की वो तस्वीर भी धुंधली ,
साफ़ करू पर (धूल ) छट ना रहा।
भूला किस्सा बातों को तेरी,
पर ज़हन से सब कुछ हट ना रहा।
हांथों की लकीरो से मेरे,
नाम तेरा अब मिट ना रहा।
क्या कहूँ के अब ,
कहने सुनने को कुछ बाकी ना रहा।
शीतलेश थुल !!
बहुत सुंदर…………………..क्या कहूँ के अब, कहने सुनने को कुछ बाकी ना रहा।
बहुत बहुत धन्यवाद सिंह साहब। सहृदय धन्यवाद आपको।
bahut khub shitesh ji………………
बहुत बहुत धन्यवाद मनी जी।
शितलेश जी………. उम्दा , बेहद भावपूर्ण!
बहुत बहुत धन्यवाद कुशक्षत्रप साहब।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति….
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी।
Such things will hurt anyone. Nice write Shitalesh
It is my great honor Sir… Thank you very much Madhukar Ji……
मनोभावो को अच्छे शब्दों में उतार देते है आप ……अतिसुन्दर शीतलेश।
आपका हार्दिक आभार निवातियाँ साहब।
बहुत ही बढ़िया ………………………………………….. शीतलेश जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत जी।