भूल जाओ क्या कौम है तेरा
भूल जाऊँ क्या कौम है मेरा
याद रखे बस उस वीराने को
पड़ी कीमत चुकानी,आज़ादी के दीवानो को
सींचा है जिसने इस धरती को
अपने खून के हर कतरे से
उनके बलिदान से पुष्पित इस धरती को
फिर न वीरान हम होने देंगे
लाशें बन बिछ गए है जो
अपने वतन के नाम पर
उन लाशो की ही क़द्र हम कर ले
कि फिर कोई लाश न बिछ पाए
ख्वाहिश थी बस इतनी ही कि
कोई उनका रंग दे बसंती चोला
आज़ादी की खातिर अब हम भी
उतार फेंके झूठा मजहबी चोला
हर नागरिक की हो जिम्मेदारी
कोई मजहब आज़ादी पर पड़े न भारी
जय हिन्द……..
काश विजय जी आपकी रचना सच हो जाये लोगो के दिलो से महजबी चोला उतर जाये…….मेरा हिन्दुस्तन वापस आ जाये ……बहुत बढ़िया…………..
धन्यवाद
काश विजय जी आपकी रचना सच हो जाये लोगो के दिलो से महजबी चोला उतर जाये…….मेरा हिंदुस्तान वापस आ जाये ……बहुत बढ़िया…………..
Bahut khoobsoorat bhav…….
धन्यवाद बब्बू जी…………..
Lovely thoughts ……………..
धन्यवाद शिशिर जी……..
बहुत खूबसूरत विजय ……………….!!
धन्यवाद निवातिया जी……………….
vijay jee aap ne kaum ki baat ki hai … aazadi aur sahid ho rahe veer jawano ke bare me achha likha hai…
आपके सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद …..
Bahut sundar rachna…
धन्यवाद अनु जी….