बड़ी बेकरार सांसो को लिए ..
में देख रही थी उस चाँद को ..
कहते है सभी, जो मैंने सुना था
वह चाँद भी बहुत से दागो से घिरा था ..
उसकी देह पर भी न जाने ….
कितनी रातो का गहरा धुंआ था ..
कितनी अनकहे ज़ख्मो को लिए ..
वह चाँद बस चुप चाप सा दिखा था …
इतने अंगारो को दामन में छिपाये..
कैसे बिलकुल ठंडा ,शांत सा खड़ा था
और इस घनी काली रात की कालिख को
अपनी रौशनी से उसने रोशन किया था ….
बहुत खूबसूरत………….
thanks thanks …babu cm ji
बहुत खूब…………….. ।
Bahut khub………………