फुर्सत के पलों में तेरे साथ जीया
हर लम्हा याद आता है।।
हफ्तों से गुमसुम बादलों से ढका
आसमान का वो खाली कोना याद आता है।
कोहरे की चादर संग बारिश मे भीगते हुए
तुमसे बिछड़ना याद आता है।
छोटी सी पहाड़ी उस पे मन्दिर
मन्दिर का दीपक याद आता है।
बादल बरसे या बरसी आँखें
आँखों का गीलापन याद आता है।
फुर्सत के पलों में तेरे साथ जीया
हर लम्हा याद आता है।।
“मीना भारद्वाज”
आद0 मीना जी बहुत ही बढ़िया, यादों के झरोखों से
तहेदिल से शुक्रिया सुरेन्द्र जी !!
अति सुंदर……………..आद0 मीना जी
हार्दिक धन्यवाद अभिषेक जी !!
हर बार की तरह…..बेहद बेहद खूबसूरत शब्दों में लिपटी लाजवाब रचना…….
हार्दिक धन्यवाद शर्मा जी !!
बेहद भावुक व बेहद सुन्दर ………..
तहेदिल से धन्यवाद शिशिर जी !!
बहुत सुंदर गजल ……………………………
हार्दिक आभार विजय जी !!
अति सुंदर गजल आप हमेशा लिखते रहीये
तहेदिल से शुक्रिया आपका .
बहुत खूबसूरत मीना जी ………….अति सुन्दर !
निवातियाँ जी हार्दिक धन्यवाद !!
सदैव की तरह बेहतरीन रचना मैम…….. आपकी रचनाओं को पढ़ कर काफी सुकून मिलता है ………..
आपकी प्रतिक्रियाएँ लेखन के प्रति उत्साहवर्धन करती हैं ।