जिंदगी क्या है किसे पता
सपना है कोई या फिर कोई प्रेम कथा
तेरे पहलू में मुझे तोह बस जीना है
बाकी दुनिया क्या है मुझे क्या पता
तेरी मासूमियत भरे सवालो से घिरे
कलम को कागज़ की चाह जगी हो जैसे
मेरी नींदों से जग कर अक्सर मैंने
मेरी रातो को तेरे ख्वाभ दिए हो जैसे !!!
beautiful……
thanks Abhishek Ji
बढ़िया रचना……………….
Thanks Mani Ji
बहुत सुंदर रचना तमन्ना जी।
Thanks Kajalsoni
खूबसूरत भाव तमन्ना …………टाइपिंग की त्रुटियों को नजर करे !
jI jAROOR NIVITIYA JI
लंबे अंतराल के बाद आपकी रचना पढ़ रहा हूँ बहुत सुंदर………………..
thanks vijay ji,
आप की ‘ कलम को यूंही कागज़ की चाह जगती रहे ‘ तमन्ना, यही तमन्ना है ।
Beautiful expression…….
Sunder…………………lines
बहुत सुन्दर………..