दोस्त होते बेमिसाल,
करते मदद हर हाल,
भाई जैसा रिश्ता अपना,
कभी कभी बहना जपना,
खाने का डिब्बा एक,
खानेवाले अनेक,
मनमुटाव कभी लड़ाई,
कर लेते कभी बढ़ाई,
एग्जाम जो हो पास,
मिलबांट होती पढ़ाई,
दुनिया खुशहाल लगती,
आत्मभाव की लौव जलती,
रो दो जो कभी,
रूमालों की ढेर है लगती,
वो यारों का छेड़ना,
उसके साथ नाम जोड़ना
कभी कभी जीभ दिखाते,
गिराकर तब सहलाते,
रूठ गए ग़र,
माँ जैसा प्यार जताते,
बर्थडे पार्टी लेना,
अपनी टरका देना,
जिस दिन जिसका,
नंबर होता,
मिलकर लेते सारे,
बेचारा वो रोता,
‘रवि’ है यारों का यार,
अब तो करदो आभार।
–रवि यादव ‘अमेठीया’
अति सुन्दर ……………….!!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
सच कहा यादव जी आपने। दोस्त बेमिसाल होते है।
धन्यवाद शीतलेश जी।
अति सुंदर…………………………
धन्यवाद विजय कुमार जी।
सही कहा आपने….बहुत खूबसूरत…….
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत ही खूबसूरत रचना रवि जी।
धन्यवाद काजल जी।