मितरो जब से मेरी शादी हो गई है
बेमतलब की एक बर्बादी हो गई हैं
सोचा था मौज मनाऊंगा जी भर के
मगर मेरी शांति भी आधी हो गई है
मैं हूँ श्याम वर्ण का पत्नी हैं मेरी हूर
शर्म के मारे मगर रहता हूँ उससे दूर
आँखे यहाँ जो भी खुली हुई रखते हैं
मुझे लगे वो सारे उसको ही तकते हैं
ईर्ष्या से मेरे दिल में व्याधि हो गई है
रातों की नींद घट के आधी हो गई है
मितरो जब से मेरी शादी हो गई हैं
बेमतलब की एक बर्बादी हो गई है
सोचा था मौज मनाऊंगा जी भर के
मगर मेरी शांति भी आधी हो गई है
मेरी पत्नी से जो हँस कर मिलते हैं
वो सब चेहरे मुझको बहुत खलते हैं
जीवन में जो उसके करीब लगते हैं
वो सब मुझको अपने रकीब लगते हैं
शक सहने की वो भी आदी हो गई है
एक जीती जागती समाधि हो गई है.
मितरो जब से मेरी शादी हो गई हैं
बेमतलब की एक बर्बादी हो गई है
सोचा था मौज मनाऊंगा जी भर के
मगर मेरी शांति भी आधी हो गई है
एक राय देता हूँ बिन मांगे मैं सबको
जीवन में अपने जैसी भार्या लपको
नहीं तो सारी उम्र बस खार खाओगे
चौकीदार बन के खूब बड़बड़ाओगे
गालियाँ बकोगे जब सड़क पर खड़े
देखोगे पुलिस में शिकायत हो गई है
मितरो जब से मेरी शादी हो गई हैं
बेमतलब की एक बर्बादी हो गई है
सोचा था मौज मनाऊंगा जी भर के
मगर मेरी शांति भी आधी हो गई है
शिशिर मधुकर
हाहाहाहाहा……………..अच्छा दर्द बया किया आपने………..बहुत बढ़िया शिशिर जी………..
रचना पसंद करने का शुक्रिया मनिंदर
हाहाहाहाहाहाहा…..कमाल ही कर दिया आपने….लाजवाब…बेहतरीन….पर आप फिर भी अच्छे हो जो नींद आधी हुई है…..बहुत हिम्मत है आपमें सच्ची……हा हा हा हा…….
सच कहा बब्बू जी हिम्मत के बात तो है जो आधी नींद बची हुई है
क्या कहने शिशिर जी बहुत खूब
रचना पसंद करने का शुक्रिया अभिषेक
Shishir jee – jab koi bat dil do chhuta hai – gahari ghav karta hai – aur oh kagaz par utar aata hai. ek bard bhari dastan ko aapne pesh kiya hai – kabile tarif ki hai.
हार्दिक आभार बिंदु जी
Sir…बहुत ही अच्छी और हास्य रस से भरी कविता। मज़ा आ गया।
हार्दिक आभार डॉ. स्वाती
अति सुंदर सर………………………….ध्यान रखियेगा घर पर ऐसी रचना का पता न चले.
हार्दिक आभार विजय. मैं कोशिश करूंगा
मधुकर जी शादी कर के हर कोई फंस जाता है।
बहुत ही खूबसूरत।
मजा आ गया ।
Madhukarji yu dukhi mat hoeye……dusri shadi ka option hamesha open hai….
अपनत्व भरी प्रतिक्रिया के लिए आभार काजल जी. लेकिन दूसरी शादी के के लिए एक अदद अपने जैसी देवी जी की भी आवश्यकता होगी. ढूंढने में मदद कीजियेगा यदि आवश्यकता पड़ी तो.
दूसरी शादी का आप्शन मैंने नहीं बताया है मधुकर जी।
वो कोई और काजल है
मै काजल सोनी हूँ।
दोनों अलग अलगआईडी है।
जरा ध्यान दीजिएगा।
कही ऐसा न हो वो कुछ कहे और आप मुझे समझे।
काजलसोनी जी त्रुटि की और ध्यान आकर्षित करने का शुक्रिया. निश्चिन्त रहें मेरा किसी को भी गलत समझने का कोई इरादा नहीं है. पुनः एक बात ह्रदय से शुक्रिया
मनोविनोद से परिपूर्ण बहुत खूबसूरत हास्य व्यंग प्रस्तुत किया आपके ……….रचनाकार की खूबी यही होती है की स्वंय के माध्यम से वास्तिवकता को कहने में समर्थ हो……बखूबी आपने किया……..बहुत अछ्छे शिशिर जी !
आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया के ले दिल से आभार निवतिया जी
वाह वाह मधुकर जी। इस कविता के माध्यम से मैं भविष्य में होने वाली घटनाओ से सचेत रहूंगा और पहले से तैयारी कर रखूँगा। खूब मजा आया इसे पढ़ के। हा हा हा हा हा………
हार्दिक आभार शीतलेश ……..
खूबसूरत हास्य रचना शिशिर जी !!
रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया मीना जी
लाजवाब हास्य रचना ………………………………………… मधुकर जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत
Very entertaining poem showing the humorous side of you . Bahoot khoob Shishir ji .
Thanks a lot Manjusha ji for your lovely comment.
वाह अति उत्तम माथुर जी
Thank you Indra Prakash ji for reading and liking