किरीट सवैया
संकटमोचन! राम-सखा! तुम,
बुद्धि-दया-बल-सद्गुण-सागर।
दीन-दुखी अति निर्धन मैं कपि!
विघ्न-विपत्ति-विकार हरो हर।।
घोर अँधेर बढ़े उर में अब,
आश-प्रभा प्रभु! दो हिय में भर।
डूब रही तरणी मग मे मम,
आकर लो अब थाम प्रभो! कर ।।
रचना-रामबली गुप्ता
हर=सभी, प्रत्येक
तरणी=नाव
मग=राह
कर=हाथ
जय बजरंगबली
अति सुंदर बजरंगबली प्रार्थना
हार्दिक आभार…….
बहुत खूबसूरत……………
हार्दिक आभार *******
बहुत खूबसूरत भक्तिमय रचना। उत्कृष्ट सृजन।
अतिशय आभार अरुण जी
अत्यंत सुंदर रचना – – – – – रामबली जी ।
बहुत बहुत आभार आपका काजल जी
खूबसूरत रचनात्मकता ……!!
हृदयतल से आभार ……