मोहब्बत क्या होती है,ये तुमने बता दिया ।
कभी हँसाया हमे,कभी हमको रुला दिया ।।
किया था काम वो,कि जीउ सदा फक्र से,
तूने कफ़न उठा के,क्यों मुझको सुला दिया,
हालात इतने बदतर न थे ,जमाने के वास्ते,
फ़क्त तेरी बेबसी ने,महफ़िल में रुला दिया
कभी चाँद की तरह,नजर आता तुझकोे मैं,
खता क्या थी मेरी,क्यों ये ग्रहण लगा दिया
सुकूँ मिलता होगा,मुझे इस हाल में देखके
तेरे खिलते चेहरे ने,यह बखूबी जता दिया
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”©
खूबसूरत……………….
असीम आभार आदरणीय
sunder brother……………………….
हार्दिक आभार आदरणीय
बहुत ही खूबसूरत रचना – – – उत्कर्ष जी ।
हार्दिक आभार आदरणीया
lovely write naveen
बहुत बहुत आभार आदरणीय